Sunday, 15 December 2013

सरकारी लोकपाल से नहीं मिटेगा भ्रष्टाचार: AAP

नई दिल्ली। भले ही अन्ना ने सरकारी लोकपाल को मंजूरी दे दी हो, लेकिन आम आदमी पार्टी ने सरकारी लोकपाल को बेहद कमजोर और लचर करार दिया है। आम आदमी पार्टी की तरफ से अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने मीडिया के सामने पार्टी का रुख जाहिर किया। प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकारी लोकपाल में कई खामियां हैं। इन खामियों में लोकपाल की नियुक्ति का मसला भी शामिल है। प्रशांत भूषण के मुताबिक नियुक्ति में सरकारी नियंत्रण की वजह से लोकपाल से भ्रष्टाचार खत्म नहीं हो सकता। प्रशांत भूषण के मुताबिक खासतौर पर निचले स्तर पर फैले भ्रष्टाचार को खत्म करने में सरकारी लोकपाल बिल पूरी तरह नाकाम साबित होगा।
सरकार के लोकपाल में तीन अहम मुद्दे हैं जिनपर केजरीवाल और आप पार्टी को ऐतराज है। केजरीवाल का कहना है कि 2011 में अन्ना की जिन तीन मांगों पर संसद में सहमति बनी थी, उनमें से एक भी मांग सरकारी लोकपाल बिल में शामिल नहीं है।
सरकारी लोकपाल बिल में सीबीआई केंद्र सरकार के ही अधीन है, जबकि 2011 में अन्ना के जनलोकपाल बिल में इसे सरकारी नियंत्रण से आजाद करने की बात कही गई थी। ‘आप’ पार्टी के मुताबिक लोकपाल के पास जांच के लिए अलग से कोई एजेंसी नहीं होगी। सीबीआई ही जांच करेगी। और सीबीआई के अफसरों की पोस्टिंग, ट्रांसफर और प्रमोशन का अधिकार सरकार के पास है। ऐसे में आप का सवाल है कि आखिर कैसे सीबीआई निष्पक्ष रह सकती है। यही नहीं लोकपाल के चयन को लेकर भी सवाल है। आप पार्टी का कहना है कि लोकपाल का चयन भी बहुत हद तक राजनीतिक दलों के हाथ होगा। लोकपाल को चुनने में शामिल होने वालों में शामिल होंगे प्रधानमंत्री, लोकसभा स्पीकर और विपक्ष का नेता।
‘आप’ पार्टी की दूसरी आपत्ति है- केंद्र की तर्ज पर राज्यों में लोकपाल का गठन क्यों नहीं, जैसा पहले वादा किया गया था? ‘आप’ पार्टी के मुताबिक सभी राज्यों में मजबूत लोकायुक्त के न होने से भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग अधूरी रह जाएगी।
तीसरी आपत्ति है सिटीजन चार्टर। सिटीजन चार्टर में ए, बी, सी और डी सभी वर्गों के कर्मचारियों के भ्रष्टाचार को दायरे में लाने की बात थी। लेकिन सरकारी लोकपाल बिल में सिर्फ ग्रुप ए को ही शामिल किया गया है।
‘आप’ पार्टी का कहना है कि आम आदमी का ज्यादा सरोकार ग्रुप बी, सी और डी के कर्मचारियों के भ्रष्टाचार से होता है लिहाजा उन्हें भी दायरे में लाना जरूरी है।
इसके अलावा सरकारी लोकपाल में गलत शिकायत करने वाले को 5 साल की सजा का प्रावधान है। ‘आप’ पार्टी का ऐतराज है कि इसकी वजह से लोग जल्द शिकायत करने से हिचकेंगे कि कहीं उन्हें उल्टा न फंसा दिया जाए।
बहरहाल कांग्रेस और बीजेपी के साथ साथ अन्ना भी सरकारी लोकपाल को हरी झंडी दिखा चुके हैं। लेकिन ‘आप’ पार्टी का कहना है कि वो अंतिम सांस तक इन बातों को लोकपाल में शामिल करने के लिए लड़ती रहेगी। क्योंकि उसके मुताबिक इनके बिना लोकपाल मजबूत लोकपाल नहीं होगा।
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Source: http://pickyouropinion.com/

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